महाविद्यालय का परिचय
गाँधी महाविद्यालय , उरई जनपद – जालौन के मुख्यालय उरई में स्टेशन रोड पर उरई रेलवे स्टेशन से आधा किलोमीटर से भी कम तथा उरई रोडवेज बस स्टैण्ड से 2 किमी की दूरी पर अवस्थित है । उरई रेलमार्ग तथा सड़क मार्ग द्वारा प्रदेश एवं देश के अन्य भागों से जुड़ा है । उरई शहर झांसी ( 114 किमी 0 ) एवं कानपुर ( 106 किमी 0 ) के लगभग मध्य अवस्थित है । यहाँ से राष्ट्रीय उच्चपथ 27 NH – 27 ) गुजरता है जो पूरब – पश्चिम गलियारा ( East – West Corridor ) का एक भाग है । इस महाविद्यालय की स्थापना सन् 1969 में बुन्देलखण्ड के बापू नाम से प्रसिद्ध पं 0 चतुर्भुज शर्मा , तत्कालीन शिक्षा मंत्री , उत्तर प्रदेश शासन द्वारा की गयी । अपने शैशवकाल से आज तक यह महाविद्यालय अनेक झंझावतों को झेलते हुए बुन्देलखण्ड जैसे पिछड़े क्षेत्र में निर्धन एवं सामाजिक रूप से वंचित छात्र – छात्राओं को उच्च शिक्षा प्रदान करने में सराहनीय योगदान दे रहा है । महाविद्यालय प्रबन्ध समिति के आजीवन अध्यक्ष स्व ० पं 0 माणिकचन्द्र शर्मा तदुपरान्त प्रबन्ध समिति अध्यक्ष श्रीमती इन्दु शर्मा के कुशल प्रबन्धन में महाविद्यालय निरन्तर प्रगतिशील है । गाँधी महाविद्यालय , उरई में स्नातक कला , बी ० एड ० तथा स्नातकोत्तर कला की शिक्षा की सुविधा उपलब्ध है । स्नातक कला ( बी ० ए ० ) में 11 विषयों हिन्दी , संस्कृत , अंग्रेजी , भूगोल , शिक्षाशास्त्र , मनोविज्ञान , प्रतिरक्षा अध्ययन , अर्थशास्त्र , समाजशास्त्र , इतिहास एवं राजनीतिशास्त्र विषय उपलब्ध हैं । स्नातकोत्तर कला ( एम ० ए ० ) स्तर पर 6 विषयों – हिन्दी , संस्कृत , प्रतिरक्षा अध्ययन , भूगोल , शिक्षाशास्त्र एवं मनोविज्ञान का अध्यापन होता है । इनमें हिन्दी को छोड़कर शेष सभी विषय स्ववित्तपोषित योजनान्तर्गत है । स्नातक तथा स्नातकोत्तर स्तर पर अध्यापन हेतु वर्तमान समय में 35 शिक्षक कार्यरत हैं । इनमें से 22 स्थायी तथा 13 स्ववित्तपोषित प्राध्यापक हैं । इनके अतिरिक्त महाविद्यालय में 12 तृतीय श्रेणी तथा 8 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कार्यरत है|
Vision
- वसुधैव कुटुंबकम्
- आदर्श नागरिक और राष्ट्र की अनमोल सम्पत्ति बनाने हेतु युवा पीढ़ी का व्यक्तित्व विकास एवं प्रबोधन।
Mission
- प्रत्येक को विशेषकर सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़े / वंचित वर्ग विद्यार्थीयों को गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्रदान करना।
- गुणवत्तायुक्त शिक्षा के लिए बेहतर अवसंरचनात्मक सुविधाएँ तथा अकादमिक वातावरण विकसित करना।
- स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना।
- नयी पीढ़ी को समकालीन ज्ञान एवं दक्षता के शिक्षा देना ताकि राष्ट्र निर्माण की चुनौतियों को स्वीकार कर सकें।
- विद्यार्थियों में नैतिक मूल्यों का विकास करना।